Thursday, December 1, 2022

किन्नर

नारी को कहे लक्ष्मी यहां
नर को कहते हैं शंकर

मैं हूं अर्धनारीनटेश्वर
हां मुझे कहते हैं किन्नर

पुरुषोंका छबीलापन है
स्त्री की मनमोहक अदा

दुख भरे हैं दिल में मेरे
फिर भी चाहती रहु सदा

हां हुं थोड़ी मुंहफट मुजोर
पैसे मांगती हूं जबरदस्ती

दूर भागते मुझे देखके तो
टूट जाती है मेरी हस्ती

मैं भी चाहती हूं मान सम्मान
ना अब हाथ फैला के जीना

मेहनत कर धन कमाऊ तो
चौड़ा हो जाए गर्व से सीना

~~~ सुनिल #शांडिल्य

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