Monday, December 12, 2022

बढ़ता ही जा रहा है, छोड़ गया बोझ कर्ज का
इलाज नज़र नही आया,मर्ज कम हो दिल का

जैसे चक्रवर्ती बढ़ता ही जाता ब्याज कर्ज का
ठीक उसी तरह गहराता जा रहा मर्ज दिल का

कर्ज की चिंता गहरी नींद उड़ा देती है रातो की
मर्ज-ए-दिल मे काम न करे दवा वेध,हकीम की

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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