पलकें भारी हो रही हैं, तुम जगे तो हो?
जो छेड़े थे धुन राग के उसमें लगे तो हो?
जन्मते हैं कुल के रिश्ते धरा पर आते ही ,
रक्त सम्बन्ध से विलग अपने सगे तो हो ।
अरमान कहूं दिल की या ईमान कहूं ,
सांसों में खुश्बू लिये मेंहदी में रंगे तो हो।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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