पलक पर हमारी भी सपने सजा दो
हो पूरे सभी ख्वाब यह तुम दुआ दो
अधूरे से ज़ख्मों की इक दास्तां हूं
मुझे सिसकियों की ज़मीं से उठा दो
फ़लक पे हंसी चांद तारे बहुत हैं
हमें ज़िंदगी एक तारा बना दो
हवन हो रहीं चाहते बन नीर
नये इस जहां को भी मंदिर बना दो
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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