अक्षर_अक्षर साथ सजाना सबके बस की बात नहीं,
ह्रदय तार झंकृत कर पाना सबके बस की बात नहीं।
भाव सभी को मिल जाते पर शब्द नहीं जुड़ते हैं,
वाणी से अमृत टपकाना सबके बस की बात नहीं
यूँ तो व्यस्त है सब अपनी अपनी जिंदगी मे
दो पल सुकून के निकलना सबके बस की बात नहीं
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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