Sunday, December 18, 2022

सारे बादल कम पड़ जाए,गहरी प्यास जगाए
खुशबू भरे ख्यालों जैसी,कई-कई राज छुपाए 

उसे देखकर चटके कलियाँ, टहनी करवट लेती 
तितली की आँखों में झाँके, उर की आहट लेती

जाड़े की गुनगुनी धूप सी, सबके मन को भाये
दर्पण से संवाद करे वो, उल्टा सीधा गाए
दीवारों पर कुछ खरोंचकर, निज गुस्सा दिखलाए

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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