नज़र से नज़र मिल रही हर पहर
धड़कने लगा दिल मेरा बेख़बर
न जाओ कहीं छोड़ कर जानेजा
कि सुनी पड़ी ज़िंदगी की डगर
अदाओं से जब पास आये कभी
जुल्फ़े लहरायेंगे शाम-ओ-सहर
बिना बादलों के भी बरसात है
घटाओं का होगा कुछ ऐसा असर
नदियों का रुख मोड़ देंगे सुनो
अगर साथ मेरा तू दें हमसफ़र
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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