Monday, December 19, 2022

नज़र से नज़र मिल रही हर पहर
धड़कने लगा दिल मेरा बेख़बर

न जाओ कहीं छोड़ कर जानेजा
कि सुनी पड़ी ज़िंदगी की डगर

अदाओं से जब पास आये कभी
जुल्फ़े लहरायेंगे शाम-ओ-सहर

बिना बादलों के भी बरसात है
घटाओं का होगा कुछ ऐसा असर

नदियों का रुख मोड़ देंगे सुनो
अगर साथ मेरा तू दें हमसफ़र

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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