मन_से_मन का बन्धन
दिल से दिल का रूहानी रिश्ता
देखते सुनते जाने कब और कैसे.
खुद की आत्मा से बँध जाता मन और मौन
मिल जाती हैं अंजानी राहों के सफ़र में दो रुहें
और बंध जाती साँसों से साँसों का रूहानी एहसास
और फिर प्रेम हो ज़ाता है बस हो ज़ाता है
एक दूसरे के मन_से_मन को
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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