Sunday, December 4, 2022

बसंत

अम्बर सजा
इंद्रधनुषी रंग
बौराई दिशा

चाँद सितारे
ले उजली सी यादें
आये आँगन

कौन छेडता
मन वीणा के तार
धीरे धीरे से

दूधिया नभ
निहारिका शोभित
मन_चंचल

हवा बासंती
बहती धीरे धीरे
गूँजे संगीत

दरख्त मौन
बसेरा पंछियों का
सुबह तक

सूरज जला
पहाड़ थे पिघले
नदी उथली

~~~ सुनिल #शांडिल्य

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