अम्बर सजा
इंद्रधनुषी रंग
बौराई दिशा
चाँद सितारे
ले उजली सी यादें
आये आँगन
कौन छेडता
मन वीणा के तार
धीरे धीरे से
दूधिया नभ
निहारिका शोभित
मन_चंचल
हवा बासंती
बहती धीरे धीरे
गूँजे संगीत
दरख्त मौन
बसेरा पंछियों का
सुबह तक
सूरज जला
पहाड़ थे पिघले
नदी उथली
~~~ सुनिल #शांडिल्य
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