जब भी जुल्फें समेट लेती हो..
साथ में दिल लपेट लेती हो..
माथे पे बिंदिया जब तुम लगती हो..
गोल चक्कर में हमें घुमाती हो..
जब भी काजल तुम लगाती हो..
काला जादू कोई चलाती हो..
ये जो गालों में डिंपल पड़े जाते हैं..
हम तो इन्हीं गड्ढों में गिरे जाते हैं...
तेरे झुमके हथियार हों जैसे..
हम भी मरने को तैयार हो जैसे..
ये जो आंचल संभाल रखा है..
हाय! ये दिल निकाल रखा है..
तेरी चूड़ी जब खनकती है..
मेरी धड़कन भी संग धड़कती है..
कमर में चाबी का गुच्छा जो लटका है..
मेरा दिल बस वहीं पे अटका है..
~~~ सुनिल #शांडिल्य
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