Wednesday, December 7, 2022

हे प्रकृतिवधू, हे महाशक्ति,हे कमल नयन, हे रूपवती।
डिगजाते तुमको देखदेख,साधू संन्यासी और यती।।

हे विधुबदनी, हे मृगनयनी,हो ममता का बारिध बिशाल।
काली-काली अलकें ऐसी,जैसे फुंकारें ब्याल-ब्याल।।

हे प्रेमपुष्प, हे सुरभिकोष,आनंदकोष हो हे प्रियवर।
यह जीवन न्योछावर करता,मैं सौ बार प्रिये तुम पर।।

~~~ सुनिल #शांडिल्य

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