Saturday, December 31, 2022

अनन्त व्योम में रहीं मयंक रश्मियां बिखर।
धवल धवल सी यामिनी धरा उठी निखर निखर।

हिमाँशु रूप देख-देख मन चकोर का विभोर ।
ज्वार में मगन जलधि हिलोर पर उठे हिलोर ।

डाल-डाल पल्लवित हरीतिमा की शाल ओढ।
पादपों से लद कदी अवनि का न कोई जोङ।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

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