Tuesday, January 10, 2023

तुमसे मिलन की आस में बैठा हूं
राधे प्रेम की प्यास में बैठा हूं
कब आओगी पूछता है बावरा
मैं प्रीत के आभास में बैठा हूं
न जानें तुम्हें कहां कहां ढूंढ़ता हूं
ब्रज की हर गली गली घूमता हूं
क्यों अपने कृष्ण पर रूठती हो
आंसूओं से सरोवर भर देती हो
लागे प्रीत के अभ्यास में बैठा हूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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