Monday, January 9, 2023

कब_आओगे आखिर
जब आंँखों से दिखना बंद हो जायेगा
होगे मेरे सामने,लेकिन तुम्हें देख नहीं पाऊंँगा
जब तुम बोलोगे और मैं सुन भी न पाऊंँगा
या तब
जब तुम्हारे आने की महक को पहचान भी नहीं पाऊंँगा
जब बातें करना चाहूंँगा पर बोल नहीं पाऊंँगा
जब तुम्हारे हाथ का स्पर्श भी महसूस न कर पाऊंँगा
यदि तब आ भी जाओगे
तो क्या पाओगे
यदि,चाहते हो अब भी कुछ पाना
तो वक़्त रहते,वक़्त पर ही आना
यदि हैं,तुम्हारे पास,अब भी कुछ अवशेष
तो बहुत कुछ बचा है,मेरे पास भी शेष
उसे सौंपकर तुम्हें,हो जाऊंँ मैं अशेष
क्योंकि दे रहे हैं मुझे,ये बहुत क्लेश
वैसे भी,अब वक़्त बचा ही कहाँ है विशेष

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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