Thursday, January 12, 2023

गोरी दबाकर मुख से साड़ी का एक छोर
शायद चितवन देख रही प्रीतम की ओर

सावनकी घटासे बाल बिखरे चारोओर
तेरी सुंदरता का नहीं नज़र आ रहा तोर

मोती जैसे दांतो से पकड़ रखा था छोर
तेरा सौम्य सौंदर्य दिल को रहा झकजोर

जंजीर,कानों में कुण्डल झूला झूले चारोओर
साजन की खातिर वो न देख रही काउओर

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment