Saturday, January 14, 2023

छूप कर बैठा है रुठ कर कोई
नज़रो से चुरा रहा नजरे कोई

पसंद हमे तेरा यहीं अंदाज हैं
माना कि रिश्ता नहीं तुमसे कोई

खामोशी से करता बातें कई
शब्दों से उलझते रिश्ते कई

दिल से बंधी एक डोर हैं
टूटते नहीं दिल के अरमान कई

जनम जनम की प्यास कोई
बुझती नहीं अब आस कोई

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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