जो केवल अनुभूतियों में ही है
शब्दों में तो प्रकट कर पाना
बिल्कुल ऐसा है
जैसे सूर्य के समीप जाकर
सूर्य से उसकी किरणें चुराना
मैं भी कुछ इसी स्थिति में हूं
कहां हूं, कैसा हूं
ज्ञात नहीं
बस जीवित हूं
पर मौन भी...
जिसका कारण भी
मुझे पता नहीं
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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