इत्तेफ़ाकन ही कहे जो प्यार हमे मिल गया
फिर वही हुआ जो नसीब को मंजूर था
एक बदनसीब से एक बदनसीब मिल गया
कहानी किरदार की या किरदार से कहानी है
बड़ा मुश्किल है कहना किसको कौन मिल गया
एक दूजे से दोनों से किस तरह मुकम्मल है
ना पूछे हमसे क्या रिश्ते को नाम मिल गया
तमाम हो रहे है दोनों पर आरजू है एक
ढल रही रात को फिर ढलता चाँद मिल गया
मेरी अधजगी नीदो और उनकी ख्वाहिशो को
एक मासूम सोया हुआ सा ख्वाब मिल गया
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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