Saturday, January 7, 2023

हम बेखुदी में थे और यार मिल गया
इत्तेफ़ाकन ही कहे जो प्यार हमे मिल गया

फिर वही हुआ जो नसीब को मंजूर था
एक बदनसीब से एक बदनसीब मिल गया

कहानी किरदार की या किरदार से कहानी है
बड़ा मुश्किल है कहना किसको कौन मिल गया

एक दूजे से दोनों से किस तरह मुकम्मल है
ना पूछे हमसे क्या रिश्ते को नाम मिल गया

तमाम हो रहे है दोनों पर आरजू है एक
ढल रही रात को फिर ढलता चाँद मिल गया

मेरी अधजगी नीदो और उनकी ख्वाहिशो को
एक मासूम सोया हुआ सा ख्वाब मिल गया

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment