मन के कण कण में,जीवन के निज क्षण मे
अपनेपन के अहसास में सबकुछ निहित
बस तुम ही तुम हो जीवन की दिशा
पावन गंगा सी भाव भंगित
चल विचल की अनुभूति से परे
क्षण क्षण लहरों सी बहती
बस तुम ही तुम हो आंसुओं की निशा
अकल्पित, पर हृदय में गुंजित
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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