उदास रात की तन्हाई में सो लूँ
अकेले ग़म का बोझ अब संभलता नहीं
अगर तू मिल जाये तो तुझसे लिपट कर रो लूँ
तेरी सादगी तेरे ख्याल,
तेरी हर अदा कमाल है,
मुझे फख्र है, मुझे नाज़ है,
कि तू सबसे अलग और बेमिसाल है
आंसुओं की बूँदें हैं या आँखों की नमी है
न ऊपर आसमां है न नीचे ज़मी है
यह कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का
उसी की ज़रूरत है और उसी की कमी है
नींद आएगी नहीं उसे किसी भी सूरत में
आँखों में बे-हिसाब मेरे ख्वाब रखता है
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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