Tuesday, February 21, 2023

देखा पहली बार तुम्हें जब 
यह सचमुच आभास नहीं था
बनजाओगे दिलकी धड़कन
किंचित भी अहसास नहीं था
सिर्फ कनखियों से चुपचुप मैं
अक्सर तुमको देखा करता
लाख बचाया करता नज़रे
देखे बिना न जियरा रहता
शायद विधिविधान के चलते
एकदिवस टकराई अँखियाँ
सूनेसूने मन आँगन में 
शेष तुम्हारी केवल सुधियाँ

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment