Tuesday, February 21, 2023

जो नज़्म बरबस हाथों में मचलती है
तुम लिखो, बस वही नज़्म लिखो!
तुम्हारे दिल से लिखे लफ़्ज़
किसी का दिल ही पढ़ता है
हमदिली का यह लम्बा सफ़र
एहसास पल में तय करता है
जज़्बातों की स्याही डाल
सच की नोंक से कुरेद रफ़ू करो
रूह पर पड़ा पुराना चाक कोई
या फिर नादान ज़ेहन से हटा दो
किसी फरेब का नक़ाब कोई!
जेहनी लोगों की सयानी बातों ने
घोलें हैं हवा में ज़हर कई
तुम अपनी दिवानगी के लफ़्ज़ों से
बख़्श दो ,घुटती साँसों को
साफ़ हवा का झोंका कोई
लिखो तो कुछ ऐसा लिखो
पढकर जिसे कुछ टूटे ख़्वाबों को
साझे आसमान में नयी परवाज़ मिले

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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