Friday, March 10, 2023

रुक जाओ तो बहक जाऊं मैं
आज सरे बज्म महक जाऊं मैं

तेरे चांद से मुख का दीदार कर
आज संवर जाऊं मैं

मुंतजिर हूं तुझसे तन्हा मुलाकात को
चाहत की झुरमुट मे आज निखर जाऊं मैं

चाँद मेरी ना घूर मुझे
कहीं सर्दी में भी न पिघल जाऊं मै

आज रात आ मेरे आग़ोश में
तेरी रंगत में ढल जाऊं मैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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