मैं बहता हूं दरिया सा
तू इश्क की नदी सी
मैं कल कल करता शोर सही
तू बहती प्रेम सरिता सी
मैं बरसता बादल सा
तू नाचती मोरनी सी
मैं राग छेड़ता सावन सा
तू मस्तमगन कुन्हु करती कोयल सी
आ छेड़ दे कोई तराना प्रेम का
गीत गजल नज्म जो भी हो वो
सरगम हो वो बस तेरे मेरे प्रेम का
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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