Sunday, March 12, 2023

मैं बहता हूं दरिया सा
तू इश्क की नदी सी

मैं कल कल करता शोर सही
तू बहती प्रेम सरिता सी

मैं बरसता बादल सा
तू नाचती मोरनी सी

मैं राग छेड़ता सावन सा
तू मस्तमगन कुन्हु करती कोयल सी

आ छेड़ दे कोई तराना प्रेम का
गीत गजल नज्म जो भी हो वो

सरगम हो वो बस तेरे मेरे प्रेम का

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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