तुम्हें ग़ज़लों का गीत लिखता हूं
तुम्हें शायर की शायरी लिखता हूं ।
लबों पे लब की प्यास लिखता हूं
मयखाने की पुरानी शराब लिखता हूं ।
शब्दो मे लिखूं तुम्हे वो शब्द ही नही
तुमपर मैं इक पूरी किताब लिखता हूं
दर्द ए जिगर,दवा बेअसर,तुम्हें
मैं अपने दिल का इलाज लिखता हूं ।
~~ सुनिल #शांडिल्य
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