Monday, March 13, 2023

जीवन के मकरंद में, तुम हो खिला गुलाब
शर्माता मुखड़ा सनम,लगे ग़जब महताब

बाँकी चाल हिरनी सम,पायल की झंकार
चंचल चहके चहुँ ओर,वदन लगे रुखसार

अधर सरस रसमाधुरी,नैनन करती वार
गोरी तेरे रूप पर, मोहित हुए हजार

कत्ल करें अलकें सनम,नागिन-सी लहराय
रैन-दिवस को भूलकर, चीर कलेजा जाय

घुँघराली अलकें घनी,चूमें लाल कपोल
नाजुक-सा तेरा बदन,चंचल मीठे बोल

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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