Wednesday, April 19, 2023

सर्द जनवरी की सुबह बेठा हूँ....
एक कप चाय के साथ तुम्हारी स्मृतियों की शाल ओढे...

सेंक रहाँ हूँ अपने सर्द
अहसास तुम्हारे ख्यालों की अलाव में..

जला देना चाहता हूँ सारे गिले शिकवों की गठरी,
तुम्हारे आलिंगन से धधकती गर्म सासों की भट्ठी में..

डाल देना चाहता हूँ एक स्नेह कम्बल
तुम्हारे और अपने ठिठुरते रिश्तों की जिस्म पर 

जी लेना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेम
फिर से एक बार तुम्हारे साथ तुम्हारा होकर 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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