Thursday, April 20, 2023

शून्य था मैं अब अंक हो गया,तुमसे मिलकर साजन
तुम क्या आए जीवन में हर एक दिन हो गया पावन।

अंक-शून्य जब मिलते हो,जैसे क्षितिज लगे है
पूर्ण चंद्रमा,चमक चांदनी गगन में यूं फैले है।

मन तरंग अब ढूंढे तुमको, जब से थामा दामन
जो मन कुंठित हो बैठा था,खिला वो मन का आंगन।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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