Wednesday, April 12, 2023

तुम्हारी झील सी आँखों में डूब 
मैं गीत लिखता हूँ,

तुम्हारी नीली आँखों में तैर
मैं प्रीत लिखता हूँ।

तुम्हारे कमनीय कलामय हाथ
सदा देते हैं मेरा साथ

तुम्हारे निर्झर से लहराते केश
भुला देते मुझको मेरा भेष

इन्हीं में खोकर मैं तकदीर से मिलता हूँ
तुम्हारी झील सी आँखों में डूब....

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment