Friday, May 12, 2023

एक यौवन चंचला प्रणय रस वत्सला
कलिका अंगड़ाइयाँ तन छुए भ्रामरा।

झूमती नव गगन ढूँढ़े अपना सजन
मेघों की क्रीड़ा में मस्त वासंती मन।

शाम कुछ मधुर शीत बन गई मन का मीत
पग बढ़े मय के घर लेकर जीवन संगीत।

रंग अनगिन लिये मन में जलते दिये
उर की धड़कन बढ़ी नव प्रणय तू प्रिये।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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