कितने सुंदर सितारे हैं, तुम बिन जलाए सारे हैं
धड़का जाती है जिया, जब ठंडी हवा हमें पुकारे हैं
झुलसा रही है चाँदनी, पास नहीं तुम्हें पाते हैं
जाऊँ तन्हा कभी चमन में, भँवरा कली मुझे चिढ़ाते हैं
आसमां पर लिख तेरा नाम, बादल देखो हमें भरमाते हैं
पानी सभी अगन बुझाए, मुझको ही क्यों सुलगाते हैं
मैं तेरा पगलू ए अजनबी, तुम ही तो मेरे नजारे हो
बाँहें पसारे खडा हूँ राह में, यह जीवन तुम्हारे हवाले हैं
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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