कैसे कह दूं?
कि तुम मेरे साथ नहीं हो मेरे आस पास नहीं हो
मेरे एहसास में, मेरी हर बात में,
मेरे जज़्बात में, मेरी हर जिद्द में
रूठने में,मान जानें में, मेरी सुबह में, मेरी शाम में
मेरे दिन में,मेरी रात में, मेरी नींद में ,मेरे ख्वाब में
जगती-सोती हुई आंखों में
जोर-जोर से धड़कती हुई धड़कन में।
बताओ कहाँ नहीं हो तुम?
नसों में घुलते इश्क से महसूस होते हो
हर पल हर वक़्त तुम मेरे नज़दीक होते हो।
मेरी हर ग़ज़ल, मेरी हर नज्म में, लिखे गए हर शब्द में,
रोम रोम में,मेरी रूह में, मेरे मन में,मेरी आत्मा में,
बताओ कहाँ नहीं हो तुम?
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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