Wednesday, May 24, 2023

हर पल मेघ नयन के बरसे।
तुम्हें देखने को जी तरसे।।

तेरी तलब लिए नजरों में।
रोज निकलते हैं हम घर से।।

छूट गया हमसे जीना तक।
इक तुमको खोने के डर से।।

कभी तो हमको मना लिया कर।
हम रूठे रूठे हैं कब से।।

लिखते हैं तन्हाई में तुमको।
छोड़ गईं तुम हमको जब से।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment