पैर थक कर चूर हो गए कहने लगे
अब विश्राम करना चाहिए
आँखों ने सुना तो तुरंत बोली हम तो नहीं थके
बस पानी के कुछ छींटे डाल दो
पर चलना बंद मत करो
जूतों ने सुना तो बोले
अभी से थकने की बात ही क्यों करी ?
मैं तो बिना थके जितना अब तक चले
उससे भी अधिक चल सकता हूँ!
कान बोले जैसा सब कहे
वैसा ही कर लो मुझे सब मंज़ूर है
गला बीच में बोल उठा
प्यास लग रही है थोड़ा सा पानी पिला दो
थोड़ा विश्राम कर लो फिर चलना प्रारम्भ कर दो
ह्रदय बोला रुकेंगे नहीं
मुझे प्रियतम से मिलने की ज़ल्दी है
सब की बात सुन कर मन बोला,
सब्र रखो हम सब एक परिवार के सदस्य हैं
ध्यान से सोचो थके मांदे ह्रदय को देख
प्रियतम खुश नहीं होगी
आँखें गंतव्य पर पहुँच कर थकान से
नींद की गोद में पहुँच जायेंगी
रही जूतों की बात उन्हें तो
अधिक चलने की आदत है
तो किसी का भी भला नहीं होगा
गले की प्यास बुझा कर
थोड़ा विश्राम कर लेते हैं
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
No comments:
Post a Comment