Saturday, June 10, 2023

चलते चलते कल प्रिये तुम्हारे नयनों में
देखा था जो नैराश्य उसी से चिंतित हूं

नत नयन भंगिमा संग प्रिये चंद्रानन का
देखा अवसादित हास उसी से चिंतित हूं

साहस रखना अपने उर पर प्रस्तर रखकर
चाहे प्रतिमा हो जाना तुम उसमें दबकर

मानिनीं बनोगी ध्रुव है, पर प्रिय याद रहे
जग करे न कल उपहास उसी से चिंतित हूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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