तुम्हारी बात से निकलेगी कोई बात लिख दूँगा
जरा नज़रें मिलाना तो मैं हर ज़ज्बात लिख दूँगा
तुम्हारी मुस्कराहट के यूँ ही बिखरे रहें जुगनू
मुझे फिर क्या डराएगी ये काली रात लिख दूँगा
मैं लिख दूँगा बहाने रोज जीने के निगाहों से
मैं हँसते-हँसते मिटने के नए अंदाज़ लिख दूँगा!
#$h@πd!£y@
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