Sunday, June 4, 2023

देह शैली,अब विषैली, आलस बढ़ा,व्याधि फैली।
निरोग तभी,मानव जाति, योगा करे, कपालभाति।

स्मरण शक्ति, बढ़ती बुद्धि, योग करता मन की शुद्धि।
रहती सदा, शुद्ध आत्मा, व्याधियों का,जड़ी खात्मा।

जन जो करे, कर्म योगी, मनवा चंगा, तन निरोगी।
तनाव मुक्त, मिले ऊर्जा, लगे न दाम, न ही खर्चा।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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