मुझे तुम्हारी कविताओं में
तब से जिक्र होता है
सिर्फ दिल में तेरे होने का
तुम तो बह जाती हो
आंसु बनकर मुझमें से
बताओं ना ?
तुम कैसे समझाती हो तुम्हारी हॅंसी को
जब-जब भी होठों पर आती होगी!
वहीं तो है मेरा प्रेम
जो अब भी तुझमें है !
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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