Wednesday, June 7, 2023

सुनो, 
हृदय में तुम्हारे प्रदीप्त प्रेम के 
सारे रंग भरके 
लिखूंगा एक गीत और गाऊंगा 

पूरी तन्मयता से सात सुरों में 
समय के थपेडों को सहते हुए 
खुद को देखता रहूंगा 

तुम्हारे रेशमी दुपट्टे के दर्पण में 
तुम पढ़ना मन पांखी के डैने पर 
कील की तरह गडी हुई मेरी कविताएं

और तुम्हारे मन के समंदर में
हृदय के अतल अथाह में समाकर
शब्दों के मोती संजोए रखूंगा

जिसमें तुम्हारे स्नेह का अर्थ
गीत बनकर हर ज़ुबान पे तैरता रहेगा

तुम मेरे गीतों का प्रगति बिंदु हो
जिसकी धुरी पर परिक्रमा करते हुए
प्रेम और निष्ठा का मर्म मैं समझता रहूंगा।। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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