Saturday, July 1, 2023

मन का कोमल भाव है प्रेम
सृष्टि का श्रृंगार है प्रेम
जीवन के इस कंटीले वन में
छायादार तरु का एहसास है प्रेम

प्रेम नहीं स्वार्थ की कल्पना,
बस देने का ही नाम है प्रेम,
मीरा की भक्ति, प्रतीक्षा राधा की,
कृष्ण का सबका हो जाना है प्रेम

प्रेम नहीं परिभाषा से बंधा,
उन्मुक्त उड़ान, उदार है प्रेम,
बहती हुई पीयूष की धारा,
तृष्णा की प्यास मिटाता है प्रेम।

प्रेम में मन जिसका भी डूबा,
भवसागर से पार कराता है प्रेम,
निश्छल, मधुर, पावन, उज्ज्वल,
हर भाव से निराला भाव है प्रेम।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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