तेरी तलब मुझे लगने लगी हैं
जब से सावन की आग लगी है
भरे नज़ारो के बीच हमको
तेरी तस्वीर दिखने लगी है l
मेरी चाहत को मेरे लम्हों को
मैंने तुझपे वार दिया
तेरी नफरत जितनी भी हो
जाना मैंने तो प्यार ही किया l
ओ मेरे यारा ओ दिलदारा
तुझ बिन जिना नहीं है गंवारा
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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