तू है तो गुले गुलजार कुछ नहीं
तेरे बिना मौसमें बहार कुछ नहीं।
फजाएं रंग बदलती तुझे देख कर
जुल्फें जो महके बयार कुछ नहीं
तू सामने तो है मगर साथ में नहीं
बैचेनी दिल में है करार कुछ नहीं
ये अधुरा पन और सुना सा मन
है खाली दिले दयार कुछ नहीं।।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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