Saturday, September 23, 2023

वह सिलती रही जिंदगी और सिलवटें साझीदार हो गयी,
औरत की जिंदगी बस अनकही फरियाद होकर रह गयी 

दायरे से निकलने की हिमाकत जब-जब उसने करी,
दुनिया उसकी और मजबूत पहरेदार हो गयी 

घर की जिम्मेदारियाँ तो बस अकेले उसके नाम हो गयी,
घर से बाहर निकलने की जरूरत भी मुश्किल होकर रह गयी

किताब के फ़टे पन्नो के मानिंद वह बिन कहानी कहे रह गयी,
घूरती आँखों को पढ़कर भी वह हमेशा खामोश रह गयी 

हर कदम पर हौसला उसका इम्तेहान लेता रहा,
पहुँच कर बुलन्दियों पर भी वह अनकही अधूरी सी रह गयी 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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