काश में रह गया कुछ आस में रह गया
वो दिल भी न ले गयी पास में रह गया
मिलेंगे कभी किसी मोड़ पर कहा था
और मैं था कि इसी विश्वास में रह गया
वो शाम थी तुम जिसमें वज़ूद था मेरा
फ़िर जुगनू निशा की तलाश में रह गया
अब देखता हूँ रंगीन जब दुनिया को मैं
सोंचता हूँ क्यूँ इक लिबास में रह गया
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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