Tuesday, October 10, 2023

है घटा छाई गगन पर बादलों का जिस्म ले
दूर तक गहरी अंधेरी रात है तिलिस्म ले

मेघवन में मैं अकेला और कंटित रास्ते
ढूंढता हूं एक नशेमन चल मैं तेरे वास्ते

हैं लताएं वृक्ष हर्षित वृष्टि के अवदान से
कौंधती है बिजलियां बादलों के मान से

ऋतु का आगाज़ ये बारिश की है पहेलियां
बूंद गिर कर इस जमी से खेलती अठखेलियां

आओ मिलकर हम सहज इस दृश्य का आनंद लें
बादलों को उड़ते देखे मिट्टी की सोंधी गंध लें

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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