Wednesday, October 11, 2023

पहले देखी मैंने वो तेरे जुल्फ काले बादल सी
फिर देखा तेरी आँखै झील सी सागर सी...

फिर देखा तेरे ओँठों को जो गुलाब से लग रहे थे
कम्बख्त मेरे दिल को किसी खुशबू से नहा रहे थे...

ये मत पुछो की मैंने तुझे कितना देखा
दिल भरा नहीं फिर भी दिल भरने तक देखा...

फिर देखा मैंने तेरा वो लहराता हुआ आंचल
तेरे हाथों के कंगना तेरे पैरो के पायल... 

शर्माना भी देखा तेरा मुस्कुराना भी देखा
दिल भरा नहीं फिर भी दिल भरने तक देखा...

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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