जो प्यार बच गया है बचा सिर्फ मन में है।
साड़ी में लिपटी आई अभी तुम हो जानेमन
या चाँदनी गुलों के खड़ी पैरहन में है।
सौ बार चाह के भी हटी ही न उससे आँख,
कुछ ऐसी दिलफरेब अदा दिलशिकन में है.।
ऐसा भरे जहाँ में न बुत को किसी नसीब,
जालिम जो बांकपन ये तेरे बांकपन में है.।
दिन रात तेरे प्यार की खुशबू भरी रहे
चम्पे की बेल सी तू ज़हन के सहन में है.।
जल के तो देखिये भी मुहब्बत की आग में,
मिलता बड़ा सुकून मियां इस जलन में है.।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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