हमारे गमों की कहानी ना पूछो
मुकम्मल कहां किसी की जिंदगानी है।
कैसे रोकू अपने बहते अश्कों को,
समय की बहती यह जिंदगानी है।
मन के कोरे कागज पर लिखूं जो
वो गीत याद अभी तक याद मुंह जुबानी है।
हर धड़कन पे लिखा तेरा नाम जो
तुझसे मिलने की आस जगानी है।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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