Wednesday, October 25, 2023

जीवन का माधुर्य रचा है 
सुगंध भरा है उपवन में
ये किसकी आहट ये किसका कलरव 
जो आन बसा है निजमन में

अनुभव हो रहा हर साँस में 
हृदय के हर स्पंदन में
नीरत-विरक्त मेरे भावों में 
कौन हंसा चिर क्रन्दन में

क्या प्रतिफल है ये असंख्य आहों का 
जो चमका है,मेघ प्रभंजन में
सूनी राहों पर साथ मिला है 
कुछ जुड़ा है दीर्घ विखंडन में

सोचा था वर्षों मैं जिसको 
जो रहे थे मेरे हर प्रण में
प्रकट हुआ है आज मुखरित हो 
समर्पित होके समर्पण में

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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