Friday, October 6, 2023

बारिश की बूंदों में बसी हो तुम 
मिट्टी की सोंधी खुशबू में हो तुम

पलकों को जब झपकाता हूं मैं
उन पलकों पर बसी हुई हो तुम

ठंडी पुरवा ब्यार जो छूती है मुझे
उसकी खुशबू में बसी हुई हो तुम

मेरे हर अहसास में ,मेरी रूह में
मेरे कण कण में बसी हुई हो तुम !

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment